रविवार, 4 दिसंबर 2011

माला 4


औघड-अघेरेश्‍वर वही होते है जिनमें अपार करूणा होती है,संवेदना होती है,जो अघ़ण होते हैंा किसी तरह के भेद-भाव तथा घणा से दूर रहकर औघड-अघोरेश्‍वर सभी के हित तथा सुख के लिए और समाज तथा राष्‍ट की सुव्‍यवस्‍था के लिए सतत चिंतित तथा प्रयत्‍न शील रहते है ा यह लोग श्‍वपच बन्‍धुओ के साथ भी रहते हैं और खाते पीते हैं ा यह आत्‍म मे, आत्‍म बुद्वि में विश्‍वास रखते हैंा

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अघोरान्‍नामपरौमंत्र:नास्तितत्‍वमगुरौपरम

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