
यह रात्रि ही मॉ का स्वरूप है जिसकी अधियारी में से प्रकाश के दर्शन सुलभ होते है ा मॉ रात्रि रूप हैं और सभी जीवो को अपनी गोद में लेकर सुलाती है और उन्हे नव चेतना प्रदान करती है ा निशा है ा उसके आते ही सब दीप जल उठते हैा उषा उद्यमशील बनाती है ा मनुष्य ही नही, संसार के सभी थके प्रणियो को नवचेतना निशा देती हैा
आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
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आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने को प्रकाशित करने का आह्वान है
जहां हमारा घर, हमारा प्रेम, और हमारी स्मृतियां...
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1 महीना पहले






7:32 am
मनोज कुमार सिह
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